जो प्रीत की रीत को ना समझे वो प्रेम निभाना क्या जाने,
जिस दिल ने चोट ना खाई हो वो नीर बहाना क्या जाने।
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रात जितनी भी संगीन, होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी
गम न कर जो है बादल घनेरा, किसके रोके रुका है सवेरा?
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हर एक रंज में राहत है आदमी के लिए,
पयाम-ए-मौत भी मुज्दा है ज़िन्दगी के लिए।